DAINIKMAIL REACTION शारीरिक रूप में बाल, कर्म रूप में बाबा थे साहिबजादे , विवाद बेवजह: एडवोकेट कालड़ा

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जालंधर () – भारत सरकार ने 26 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे पुत्रों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह जी की महान शहादत को श्रद्धांजलि में देश भर में वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। इस पर विवाद को सिख फॉर नेशन संगठन द्वारा अनावश्यक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया है। सिख नेशन का मत है कि दूरदर्शिता की दृष्टि से वीर बाल दिवस के शीर्षक में कुछ भी नकारात्मक नहीं लगता।
इन विचारों को व्यक्त करते हुए सिख फॉर नेशन की कोर कमेटी के सदस्य एडवोकेट भूपिंदर सिंह कालरा ने कहा कि वास्तव में वीर बाल दिवस उन साहिबजादों की याद में मनाया जा रहा है जो शारीरिक रूप से 7 और 9 साल के बच्चे थे. लेकिन कम उम्र में ही उन्होंने जो बेहतरीन काम किया है, उसके लिहाज से उन्हें आदर से बाबा कहा जाता है। छोटे साहिबजादों को बाबाओं के रूप में सम्मान देना हम सभी का कर्तव्य है, लेकिन हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों तक साहिबजादों की छवि को बच्चों और बाबा के रूप में आगे बढ़ाना जरूरी है, क्योंकि अगर वर्तमान पीढ़ी साहिबजादों को बाबा कहकर संबोधित करती है यदि बच्चों और उनके बाबा को समान रूप से बढ़ावा नहीं दिया गया तो आने वाली पीढ़ियों को बड़ी दुविधा का सामना करना पड़ सकता है। आने वाली पीढ़ियों के लिए यह समझना मुश्किल होगा कि साहिबजादे 7-9 साल के बच्चे थे या बूढ़े।
इसके अलावा पंजाब और पंजाबी के लिहाज से बाबा शब्द बहुत अच्छा और स्पष्ट है, लेकिन देश की कई बोलियों और भाषाओं में बाबा शब्द गुम हो जाएगा। इतना ही नहीं डिक्शनरी में भी बाबा शब्द का अन्य भाषाओं में कोई स्पष्ट अर्थ नहीं है। इसलिए उपरोक्त बातों को ध्यान में रखते हुए सिख फॉर नेशन की कोर कमेटी ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी सहित सभी संप्रदाय संगठनों और सिख संगत से पुरजोर अपील की है कि साहिबजादों की महान शहादत गाथा को भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक करने के लिए किये जा रहे वीर बाल दिवस के लिए किये जा रहे प्रयासों में एक समर्थक की भूमिका निभानी चाहिए। सिख फॉर नेशन ने भारत सरकार से मांग की कि पंजाब और पंथ की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए वीर बाल दिवस मनाने की पहल को और बेहतर बनाने के लिए पंथिक संगठनों से मुलाकात कर वीर बाल दिवस के नाम पर पुनर्विचार किया जाए।इस मौके पर जसविंदर सिंह लाली, गुरप्रीत सिंह संधू, प्रोफेसर एमपी सिंह, गगनदीप सिंह धमीजा, प्रितपाल सिंह सेठी, दमनप्रीत सिंह, इंद्रप्रीत सिंह, हरजीत सिंह बाबा, महिंदरपाल सिंह आदि भी मौजूद रहे।

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